अगर आपके मोबाइल या मेल में मैसेज आए कि आप हजारों पौंड या डालर की लॉटरी जीत गए हैं और इसे क्लेम करें, तो समझ लीजिए कि कोई आपको ठगने की कोशिश कर रहा है। फर्जी ई-मेल और एसएमएस से लॉटरी और पुरस्कार का प्रलोभन देने का खेल इन दिनों तेजी से चल रहा है। कुछ लोग इस झांसे में आकर ठगे भी जा चुके हैं। पुलिस हैडक्वार्टर के साइबर सेल ने ऐसी कुछ कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड किया है।
फर्जी साइट की सूची दिनों-दिन लंबी होती जा रही है। इनके वारदात के तरीके भी लगातार बदल रहे हैं। इन दिनों कुछ कंपनियां ई-मेल और एसएमएस के जरिए निवेश के नाम पर लोगों को फांसने का प्रयास कर रही है। उन्हें मोटे मुनाफे या इनाम का झांसा दिया जा रहा है। कुछ जागरूक लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस के साइबर सेल में की है, वहीं बदनामी छिपाने या पुलिस के पचड़े में पड़ने के डर से अधिकांश तो शिकायत ही नहीं करते। पुलिस के साइबर सेल ने राज्य के सभी ई-मेल धारकों को फर्जी साइट के माध्यम से लाटरीए पुरस्कार या कंपनी पार्टनर बनाने के लिए रुपए ऐंठने वालों से सावधान रहने के लिए कहा है।
लोगों से पैसे ऐंठने में लाटरी योजनाओं का सहारा लेना विदेशी मुद्रा अधिनियम 1999 के अंतर्गत प्रतिबंधित है। साइबर पेन से हलाकान पुलिस ने उन कंपनियों को चिन्हित किया है, जो फर्जी ई-मेल के जरिए लोगों को फंसाती हैं। लाटरी और पुरस्कार का प्रलोभन देने वाली ऐसी कंपनियों के ई-मेल साइट को ब्लैक लिस्ट में डालने के अलावा पुलिस इनसे निपटने एथिकल हैकर्स दस्ते तैयार कर रही है।

इंटरनेट कैफे के लिये नियम 

साइबर कैफे में यदि कोई विभाजन या क्यूबिकल निर्मित किया जाता है तो उसकी ऊंचाई फर्श से साढ़े चार फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए। पार्टिशन या क्यूबिकल को छोड़कर साइबर कैफे में स्थापित प्रत्येक कंप्यूटर का पटल बाहर की ओर हो। साइबर कैफे के सामान्य रूप से खुले हुए भाग की ओर उनका सामने का भाग हो। अवयस्क को कंप्यूटर का उपयोग करने की अनुमति न दी जाए।

किशोरों को परिजनों के साथ अनुमति

अवयस्क को माता-पिता के साथ कंप्यूटर का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी। साइबर कैफे का पुलिस अधिकारी कभी भी निरीक्षण कर सकेंगे। नियमों का पालन नहीं करने वाले साइबर कैफे के संचालक को अर्थदंड से दंडित किया जा सकेगा। साइबर कैफे में अश्लील वेबसाइटस के देखे जाने पर रोक संबंधी एक बोर्ड भी लगाना होगा।

जानकारी लेने में रुचि नहीं
साइबर कैफे अधिनियम का प्रकाशन 11 जून 2009 को राजपत्र में किया गया था। इसके बाद सभी जिलों की पुलिस को हैडक्वार्टर से निर्देश जारी किए गए, इसके बाद भी पुलिस के पास किसी कैफै संचालक ने रिकार्ड नहीं दिया है। इधर, पुलिस ने भी इसमें किसी प्रकार की रुचि नहीं दिखाई है। जिले में जिस तरह से साइबर क्राइम बढ़ रहा है, आने वाले दिनों में इसके गंभीर दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।

शिकायतों के लिए ई-मेल एड्रेस
 
पुलिस ने साइबर मामलों में लोगों की मदद के लिए विभागीय ई-मेल एड्रेस जारी किया है। प्राप्त होने वाले ई-मेल या एसएमएस को लेकर किसी भी तरह की शंका हो तो तत्काल उसे इस एड्रेस पर भेजा जा सकता है। जानकार इसका परीक्षण कर 24 घंटे के भीतर अवगत कराएंगे कि संबंधित कंपनी का प्रस्ताव फर्जी है या नहीं।

केस-1

तखतपुर के राजेश मनचंदानी को मोबाइल पर मैसेज आया कि वे ”2009 इरिश लॉटरी“ के मोबाइल ड्रा में 7 लाख पौंड जीत चुके हैं। इनाम की राशि पर क्लैम करने के लिए उन्होंने जब दिए गए फोन नंबर पर संपर्क किया तो उन्हें एक एकाउंट नंबर दिया गया और इनाम की राशि देने की प्रोसेस के लिए 35 हजार रुपए जमा करने के लिए कहा गया।

केस-2

वेयर हाउस रोड निवासी जय पाण्डेय को एक कंपनी ने ई-मेल से बताया कि उसने लॉटरी प्रमोशन स्कीम से 5 हजार पौंड जीते हैं। इनाम की राशि क्लेम करने के लिए उससे ई-मेल के जरिए फार्मेट में जानकारियां मंगाई गई। इसके चौथे दिन एक फोन आया कि कंपनी का प्रतिनिधि इनाम की राशि लेकर दिल्ली एयरपोर्ट पहुंच गया है। वहां से एकाउंट में राशि डाल देगा। प्रोसेस के लिए 40 हजार रुपए दिए गए एकाउंट में जमा करने के लिए कहा गया।

केस-3

16 नवंबर को गौरेला अंबेडकर नगर निवासी शंकर रोहणी के मोबाइल पर फोन आया कि एक कंपनी का इनामी योजना में उसे विजेता घोषित किया गया है। कंपनी के 9-9 सौ रुपए वाले 18 हजार के कूपन खरीदकर कंपनी के कोड नंबर में डालकर भेजने पर उसे इनामी रकम 20 लाख रुपए मिल जाएंगे। संतोष ने कूपन खरीदकर भेज दिया। फिर उसे बताया गया कि कंपनी के कर्मचारी हेलीकाप्टर से इनामी रकम लेकर आएंगे। इसके बाद न हेलीकाप्टर आया, न ही उसे रकम मिली। बाद में पता करने पर यह नंबर पाकिस्तान का निकला।

तेजी से फैल रहा साइबर क्राइम का जाल

शहर के चौक-चौराहों और गली.मोहल्लों में खुले सैकड़ों साइबर कैफे के खतरे से लोग बेखौफ है। कई बार इसका दुरुपयोग भी सामने आ चुका है, पर पुलिस कैफे संचालकों पर अपना शिकंजा कसने में नाकाम रही है। साइबर कैफे का दुरुपयोग रोकने के लिए कुछ माह पहले लागू किए गए साइबर कैफे अधिनियम 2009 के नियमों का भी पालन नहीं किया जा रहा है। शहर में इस समय करीब 150 से भी अधिक साइबर कैफे हैं और किसी का रिकार्ड पुलिस के पास नहीं है। पुलिस इसका पालन कराने में भी रुचि नहीं दिखा रही है। छत्तीसगढ़ में साइबर कैफे नियम 2009 का 11 जून को प्रकाशन कर दिया गया है। इसके नियमों का पालन किसी भी कैफे में नहीं किया जा रहा है।