क्रिकेट के सीमित मैच के दौरान किसी प्रकार की प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों एवं अन्य स्थितियों में अपनाया जाने वाला नियम हैए ताकि मैच अपने निर्णय तक पहुँच सके । यह नियम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त हैं । इस नियम के तहत घटाए गए ओवरों में नए लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं । इस लक्ष्य निर्धारण विधि को एक ख़ास सांख्यिकीय सारणी की मदद से निकाला जाता है जिसका संशोधन समय-समय पर होता रहता है । इस नियम का विकास इंग्लैंड के दो सांख्यिकी के विद्वान फ्रैंक डकवर्थ और टौनी लुईस ने किया था ।

उपरोक्त सारणी 2002 के संशोधन के समय की है जिसमें प्रत्येक ओवर के बचे रहते और विकेट के शेष रहते संसाधनों की माप प्रतिशत में दी गई है । इसमें संसाधनों ;या साधनोंद्ध की विधि पर आधारित रनों की संख्या का लक्ष्य निकाला जाता है ।

माना कि पहली टाम ने R1 साधनों का प्रयोग करते हुए S रन बनाए । अगर दूसरी टीम को खेलने के लिए सिर्फ R2 साधन मिले तो उनका लक्ष्य होगा- S*R2/R1 । इसको समझने के लिए एक उदाहरण नीचे दिया गया है ।

एक सामान्य उदाहरण
माना कि पहले टीम ने खेलकर S रन बनाए और बाद मे खेल रही टीम ने 30 ओवरों में दो विकेट खो दिए तो R(30,2) का मान उपर की टेबल से देखकर 52.4% निकालते हैं। चुँकि बाद वाली टीम ने सिर्फ 100-52.4=47.6% साधनों का प्रयोग किया अत: उनका नया लक्ष्य होगा - S*47.6/100>

डी/एल का एक सरल उदाहरण
विधि पहला एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (एकदिवसीय) भारत और पाकिस्तान के बीच अपने 2006
एकदिवसीय श्रृंखला में खेला जा रहा था। भारत ने पहले बल्लेबाजी की और 49 ओवर में 328 किये। पाकिस्तान ने दूसरी बल्लेबाजी करते हुए 7 विकेट पर 311 बनाये के तभी खराब रोशनी के बाद खेल को 47 ओवर पर रोका गया था। जहा रन रेट के हिसब से 3 ओवेर मे 18 रन चाहीये थे 3 विकेट हाथ मे थे। डी/एल मेथड में अगर रन रेट के हिसब से देखे तो 47 ओवर के बाद 3 विकेट हाथ मे होते यहाँ 304 रन होते तो पाकिस्तन की जीत तय थी यहा उनका स्कोर 311/7 विकेट के नुकसान पर था तो आधिकारिक तौर पर परिणाम के रूप में पाकिस्तान 7 रन से जीता घोषित किया गया ।