मस्तिष्क के दो भाग होते हैं। दाहिने भाग से शरीर के बाएँ हिस्से को संचालित किया जाता है और बाएँ मस्तिष्क के भाग से शरीर का दाहिना हिस्सा संचालित किया जाता है। डॉ. डी. सिल्वा ने यह अनुसंधान कार्य 1956 में किया था। उनके अनुसार दोनों मस्तिष्कों के भाग को विकसित किए बिना मस्तिष्क संपूर्ण विकसित नहीं माना जाएगा।

सिल्वा ध्यान:
उन्होंने 'सिल्वा ध्यान' विधि का प्रचार किया था। उन्होंने बाएँ हाथ से काम करने वालों को मस्तिष्क के बाएँ हिस्से पर चेतन मन को आँखें बंद करके पहुँचाने और एकाग्रता करने के लिए सचेत किया था। उसी प्रकार जो व्यक्ति दाहिने हाथ से कार्य करते हैं, उन्हें दाहिने मस्तिष्क के भाग पर चेतन मन को केंद्रित करके ध्यान करने की विधि बताई थी जिससे मस्तिष्क के दोनों भाग सक्रिय हो सकें। इस क्रिया से पंद्रह हजार करोड़ न्यूरॉन सक्रिय होते हैं।

उन्नत मस्तिष्क :
योगाभ्यास करने वालों का मस्तिष्क भी सहज रूप से विकसित एवं उन्नत हो सकता है। अनेक आसनों का उपयोग करके मस्तिष्क के दोनों भाग सक्रिय हो जाते हैं। विचार करने की क्षमता बढ़कर तत्काल निर्णय, समझने की शक्ति, स्मरण शक्ति और वृद्धावस्था के अनेक रोग जैसे लकवा, पार्किंसन, अल्जाइमर, अनिद्रा आदि अनेक भविष्य में आने वाली समस्याओं से निजात मिलती है।

कुछ लोगों का व्यवसाय या कार्य करने में दोनों हाथ एवं पैरों का उपयोग किया जाता है, उनका मस्तिष्क विकसित होता है। इसकी अनुभूति उन्हें नहीं होती, परंतु कार्य से झलकती है जैसे कार, ट्रक आदि वाहन चलाने वाले चालक के हाथों और पैरों दोनों का उपयोग होता है और उनकी स्मरण शक्ति अच्छी होती है। एक बार मार्ग देखने पर कभी भूलते नहीं, बाएँ हाथ से कार्य करने वाले दोनों हाथ समान रूप से उपयोग में लाते हैं। उनका भी मस्तिष्क उन्नत हो जाता है। हिन्दू धर्म में इसे अशुभ माना जाता था।

गृहिणियों को दोनों हाथों से कार्य करना होता है जैसे आटे की लोई बनाना, रोटी बनाना आदि से उनका मस्तिष्क पुरुषों की तुलना में अधिक उन्नात होता है जैसे शिवाजी की माता जीजाबाई, जिन्होंने युद्धकला में शिवाजी की मदद की थी। लोकमान्य तिलक जो दोनों हाथों से एक साथ समान रूप से लिखते थे। अमिताभ बच्चन, बिल क्लिंटन, वर्तमान में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा- ये सब दोनों हाथों से समान रूप से कार्य करते हैं।

योगासन के आसन:
योगासन में भी अनेक आसन हैं जिनको दोनों अंगों से किया जाता है। उनसे मस्तिष्क के दोनों भाग संपूर्ण रूप से विकसित करने में मदद मिलती है अर्थात योगाभ्यासी द्वारा नियमित उपरोक्त आसनों का नित्य अभ्यास क्रम में समावेश करने से मस्तिष्क का विकास संपूर्ण रूप से होने लगता है।

प्राणायाम का महत्व:
प्राणायाम करते समय दोनों स्वर (नाक के भाग) चलने स मस्तिष्क के दोनों भागों को प्राणवायु का संचार होने लगता है और ‍मस्तिष्क के दोनों भाग समान रूप से उन्नत होते हैं। प्राणायाम में अनुलोम-विरोम, सूर्यभेदि प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम एवं उज्जयी प्राणायाम मस्तिष्क के विकास में अत्यधिक मदद करते हैं।

ध्यान से दोनों मस्तिष्क के भाग का संपूर्ण विकास होकर तनाव निर्माण करने वाले हार्मोंस कम बनते हैं और उपयुक्त हार्मोन्स जैसे मेलाटोनीन, सायटोसीन, डोपामीन और ऑक्सीटोसिन का अधिक निर्माण होने से क्रियाशीलता, नूतन विचार, समस्याओं का हल, प्रेमभाव, समझने की शक्ति, कार्य करने की इच्छा आदि बढ़ने लगती है।

मस्तिष्क विकास में सहायक आसन:
कटिचक्रासन, त्रिकोणासन, हनुमानासन, गरूड़ासन, पादांगुष्ठासन, मयूरासन, अर्धशलभासन, जानुशिरासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, मरिचयासन, सूर्य नमस्कार, एकपाद उस्थितासन, एकपाद मूगदलासन, पर्वतासन, संतुलित मार्जरासन, एकपाद प्रसरणासन आदि है।

डॉ. बांद्रे वरिष्ठतम योग शिक्षक, देश-विदेश के कई योग सम्मेलनों में शिरकत कर चुके हैं।